यह खबर रुड़की के वार्ड नंबर 23 सलेमपुर राजपूताना से है, जहां बिजली विभाग द्वारा नंगे तारों को हटाकर रबड़ वाले तारों को लगाया जा रहा था। इस दौरान ग्रामीणों ने भूमिया खेड़ा मंदिर के ऊपर से गुजरने वाले तारों को हटाने की मांग की, जिसके बाद प्रशासन और ठेकेदार के साथ बातचीत हुई और तारों को हटाने का निर्णय लिया गया। इस वजह से काम में देरी हुई और बिजली आपूर्ति में भी देरी हुई। यह एक सकारात्मक कदम है जो धार्मिक स्थलों के सम्मान और सुरक्षा को दर्शाता है। ग्रामीण नेता और स्थानीय लोगों की मांग थी कि मंदिर के ऊपर से बिजली के तार हटाए जाएं, जिसके लिए उन्होंने प्रशासन को आवेदन भी दिया था। हालांकि, तारों को बदलने का काम चल रहा था, लेकिन मंदिर के ऊपर से तार हटाने में प्रशासन की ओर से आनाकानी देखी गई। इससे ग्रामीण संतुष्ट नहीं हैं और आने वाले समय में प्रशासन के निर्णय को लेकर चिंतित हैं। ऐसे मामलों में, जहां हाई-टेंशन तार धार्मिक स्थलों या घनी आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरते हैं, वहां खतरे की संभावना बढ़ जाती है। भागलपुर की एक घटना में, 33 केवी का हाई-टेंशन तार कई मोहल्लों से गुजरता था, जिससे लोगों की जान जोखिम में पड़ गई थी। प्रशासन ने इस मामले में तारों को हटाकर सड़क किनारे लगाने का आश्वासन दिया था। इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं ¹: - तारों को हटाना: धार्मिक स्थलों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों से हाई-टेंशन तारों को हटाकर सड़क किनारे या अंडरग्राउंड किया जा सकता है। - सुरक्षा व्यवस्था: तारों के पास सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जा सकती है, जैसे कि पुलिस बल या सुरक्षा गार्ड तैनात करना। - स्थानीय प्रशासन की भूमिका: स्थानीय प्रशासन को ग्रामीणों की मांगों को सुनना और समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए। - जागरूकता: लोगों को हाई-टेंशन तारों के खतरों के बारे में जागरूक किया जा सकता है और उन्हें सुरक्षित रहने के तरीके बताए जा सकते हैं। इन कदमों को उठाकर, प्रशासन ग्रामीणों की मांगों को पूरा कर सकता है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
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